जेनिटल हर्पीज
• जेनिटल हर्पीज एक सामान्य , सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज है जो हर्पीससिम्प्लेक्सवायरस HSV के कारण होती है । यह त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से फैल सकती है, खासकर सेक्सुअल एक्ट के टाइम | दो तरह के हर्पीसवायरस जेनिटल में अलसर पैदा करते हैं।
• पहला है HSV-1: ये मुंह के छाले देता है, पर कभी कभी इससे जेनिटल हर्पीस भी हो सकता है।
• दूसरा है HSV-2: ये मैनली जेनिटल में छाले देता है, पर कभी कभी मुंह के छाले भी दे सकता है।
• WHO की रिपोर्ट में कहा गया की 2016 में , 50 साल से कम उम्र के लगभग 3.7 अरब लोगों में HSV-1 था। उसी साल, 15-49 साल के लगभग 49 करोड़ लोगों में HSV-2 था।
• ये वायरस घाव या शरीर की अंदरूनी नमी वाली झिल्ली से फैलते हैं जैसे नाक, मुंह, जेनिटल ।
• बॉडी सेल्स में घुसकर ये वायरस बढ़ते रहते हैं, जिससे इनका इलाज मुश्किल हो जाता है। ये वायरस बॉडी के दिसचर्जेंस में मिलते हैं, जैसे लार, वीर्य, वागिनालडिस्चार्जेस
कुछ लोगों में इन्फेक्शन के हल्के सिम्प्टंप्स या कोई सिम्प्टंप्स नहीं दिखाई देते, लेकिन वे फिर भी वायरस को फैला सकते हैं | इससे कुछ लोगों को जेनिटल, मुंह के आसपास दर्द, खुजली और घाव ULCERS हो सकते हैं।
मॉडर्न मेडिसिन में गेनिटल्हेरपीस का अभी तक कोई इलाज नहीं है। सिम्प्टंप्स अक्सर पहली बार इन्फेक्शन होने के बाद फिर से दिखाई देते हैं।
होम्योपैथिक ट्रीटमेंट से आप दूसरों को INFECTED करने का खतरा भी कम कर सकते हैं। कंडोम का इस्तेमाल भी जेनिटल हर्पीज के इन्फेक्शन को रोकने में मदद कर सकता है।
आजकल ये बिमारी बहुत तेज़ी से बड रही है इसका एक कारण ये है की बहुत से लोग जिनमें HSV का इन्फेक्शन होता है, उन्हें पता ही नहीं चलता कि वो इन्फेक्टेड हैं। कई बार तो उन्हें कोई सिम्प्टंप्स भी नहीं दिखते या बहुत ही हल्के सिम्प्टंप्स दिखते हैं।
इन्फेक्शन होने के 2 से 12 दिन बाद सिम्प्टंप्स दिखना शुरू हो जाते हैं, जैसे
जेनिटल एरिया के आसपास दर्द या खुजली का होना|
• जेनिटल AREA, अनुस या मुंह के आसपास छोटे-छोटे फुंसियां या छाले आ जाना |
• छाले फटने और रिसने या BLOOD आने पर बनने वाले पेनफुल घाव होना |
• फिर इस घाव को भरने के लिए बनने वाले पपड़ी ये सब सिम्पटम्स पेशेंट में देखे जाते है |
• कई पेशेंट्स को पेशाब करते समय दर्द होता है
• पेशेंट के पेनिस और (यूरेथ्रा) से फ्लूइड का डिस्चार्ज भी होता है |
• वही फीमेल को वेजाइना से फ्लूइड का डिस्चार्ज भी होता है |
पहली बार इन्फेक्शन होने पर आपको अक्सर बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द और कमर में लिम्फनोड्स में सूजन जैसे फ्लू जैसे सिम्प्टंप्स भी हो सकते हैं।
• इन्फेक्शन जहा से इंटर करता है वहाँ छाले बना देता है। इन्हें छूकर और फिर शरीर के दूसरे हिस्से को छूने से इन्फेक्शन फैल सकता है।
• Thighs, Rectum, और अनुस में |
• Mouth, Urethra, Vulva, Vagina
• Cervix. Penis, और Scrotum में हो सकते है |
जेनिटल हर्पीज के पहले फोड़े फूटने के बाद, अक्सर सिम्प्टंप्स दोबारा उभर आते हैं। इन्हें रेकरंट आउटब्रेक या बार-बार आने वाले एपिसोड कहा जाता है।
ये सिम्प्टंप्स कितनी बार दोबारा उभरते हैं, यह हर पर्सन में अलग होता है। लेकिन हमेसा , इन्फेक्शन के पहले साल में ये सबसे ज्यादा बार आते हैं। समय के साथ इनका आना कम हो सकता है। बार-बार आने वाले सिम्प्टंप्स आमतौर पर पहले जितने लंबे नहीं होते हैं।
नए सिम्प्टंप्स शुरू होने से कुछ घंटे या दिन पहले आपको कुछ इंडिकेशन मिल सकते हैं। इन्हें प्रोड्रोमल सिम्पटम्स कहा जाता है, जैसे
• जेनिटल एरिया में दर्द |
• पैरों, कूल्हों या ब्रैस्ट में झनझनाहट या तेज दर्द का होना |
• सेक्सुअल कांटेक्ट के दौरान जननांगों के संपर्क से जेनिटलहर्पीज होने की रिस्क बढ़ जाती है। बिना कंडोम के प्रयोग से खतरा और बढ़ जाता है। महिलाओं में जेनिटल हर्पीज होने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वायरस पुरुषों से महिलाओं में आसानी से फैल सकता है।
• एक से अधिक पार्टनर के साथ सम्बन्ध होने से भी खतरा बढ़ता है। जितने ज्यादा लोगों से आप सम्बन्ध बनाते हैं, उतना ही खतरा बढ़ता है। हर्पीस वाले ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि उन्हें यह बिमारी है।
• ऐसे पार्टनर के साथ सम्बन्ध बनाने से भी खतरा बढ़ता है जिन्हें यह डिजीज है पर वे इलाज नहीं करा रहे।
• ट्रीटमेंट नहीं कराने पर कई कठनाईया इससे हो सकते है जैसे : HERPES के घाव से HIV / एड्स समेत अन्य सेक्सुअल बीमारी होने का रिस्क बढ़ जाता है।
• बच्चे को HERPES: बच्चे को जन्म के समय या बाद में माँ से HERPES हो सकता है, जो गंभीर हो सकता है।
• इसके अलावा ,HERPES से वेजाइना, URETHRA जैसे ORGANS में सूजन हो सकती है।
• आँख में भी दिक्कत हो सकती है : HERPES से आँख में दर्द, धुंधलापन या अंधापन भी हो सकता है।
• बहुत कम मामलों में दिमाग या शरीर के अंदर दिक्कत हो सकती है : ये बहुत ही कम होता है, लेकिन हां ये हो सकता है।
• ऐसी खतरनाक बिमारी से बचने के लिए, सिर्फ एक ही इंसान के साथ फिजिकल रिलेशनशिप रखे , और ये कन्फर्म करे की उन्हें ये बिमारी न हो।
• हर बार सेक्स के दौरान कंडोम या डेंटलडैम ज़रूर इस्तेमाल करें।
• HERPES के वक्त रुकें, अगर आपके साथी को HERPES के सिम्प्टंप्स दिखें, तो सेक्स न करें।
• यदि आप प्रेग्नेंट हैं और जानती हैं कि आपको जेनिटल हरपीस है, तो अपने डॉक्टर को जरूर बताएं। अगर आपको लगता है कि आपको जेनिटलहरपीस हो सकता है, तो डॉक्टर से पूछें कि क्या आपका टेस्ट हो सकता है।
आपकी डॉक्टर आपको प्रेग्नेंसी के आखिरी में हरपीस की दवाई लेने की सलाह दे सकती हैं। ये दवाएं बच्चे के जन्म के समय होने वाले इन्फेक्शन को रोकने में मदद करती हैं। अगर डिलीवरी के समय आपको इन्फेक्शन हो जाता है,तो डॉक्टर सीज़ेरियन सर्जरी एडवाइस कर सकती हैं। इसमें सर्जरी के ज़रिए बच्चे को आपके UTERUS से निकाला जाता है। इससे बच्चे को इन्फेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है।
बात करे इसके लिए दवाओ की तो इसके लिए वरिओलीनुम, एसिडनाइट्रिक ,रहुस्तोस , नैट्रमम्यूर, मेज़ेरियम ,और मर्क सोल जैसी मेडिसिन प्रेस्क्रिब है |
जेनिटल हर्पीस एक गंभीर बिमारी है। इसलिए सेल्फमेडिकेशन से बचे । और किसी योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से इसके लिए परामर्श ले |